Manhattan Project :-
मैनहटन परियोजना (Manhattan Project) एक वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग शोध प्रोग्राम था, जिसका उद्देश्य दूसरे विश्व युद्ध के समय एक अत्यंत गुप्त तरीके से एटम बम का विकास करना था। इस परियोजना के तहत अमेरिका ने उच्च-संसाधन और अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान का उपयोग करके विश्व के पहले एटम बम को विकसित किया। इस परियोजना का विकास द्वितीय विश्व युद्ध के समय (1942-1945) में हुआ था। इसे मैनहटन के क्षेत्र में स्थित लॉस एलामोस, न्यू मेक्सिको, यूएसए में स्थापित लैबोरेट्री में संचालित किया गया था, जिसके कारण इसे 'मैनहटन परियोजना' के नाम से जाना जाता है।
इस परियोजना का उद्देश्य नाजी जर्मनी के विरुद्ध संरक्षित एक सुरक्षित अखंड भारतीय संसार का निर्माण करने के लिए एक एटम बम विकसित करना था। इसके लिए अनेक वैज्ञानिक, अभियंता, उच्च शिक्षित व्यक्तियों, और युद्ध सलाहकारों ने साथ मिलकर काम किया।
मुख्यतः इस परियोजना में दो प्रमुख वैज्ञानिक समूह थे - रॉबर्ट ओपेनहाइमर के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैंडर्ड्स (NBS) द्वारा संचालित लैबोरेट्री और जीवनी ऑपरेशन्स वेबर द्वारा संचालित लॉस एलामोस लैबोरेट्री।
1945 में मैनहटन परियोजना के तहत विकसित एटम बम का नाम "ट्रिनिटी" रखा गया था। इसके बाद, 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा नागरिकता में एक एटम बम फेंका गया, और तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर एक और एटम बम गिराया गया। ये दोनों ही घटनाएं इतिहास के सबसे भयानक एवं प्रभावशाली अभियानों में से एक थे जिनसे विश्वभर में नाश-तबाही हुई और सामान्यतः युद्ध का समाप्ति का कारण बने।
मैनहटन परियोजना के विकास के दौरान एक के बाद एक कठिनाइयों का सामना किया गया था, जिनमें वैज्ञानिक और अभियंताओं ने सफलता हासिल की। इस परियोजना ने एटमिक शक्ति के उपयोग के साथ दुनिया के सामने अभूतपूर्व चुनौतियों को रखा
और एक नई युद्ध युग की शुरुआत की। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जो दुनिया के ध्यान को एक नए दृष्टिकोण में ले जाने में सफल रही।
Julius Robert Oppenheimer एक अमेरिकी सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लॉस एलामोस प्रयोगशाला के निदेशक थे। पहले परमाणु हथियार बनाने वाले अनुसंधान और विकास उपक्रम मैनहट्टन प्रोजेक्ट के आयोजन में उनकी भूमिका के लिए उन्हें अक्सर "परमाणु बम के जनक" के रूप में श्रेय दिया जाता है।